जी हाँ वैसे तो भारतबर्ष में आये दिन एक न एक पर्व का आना जाना लगा ही रहता है और हर एक पर्व को उसके समुदाय के लोग बड़ी ही धूम धाम से मनाते हैं और उन सभी पर्वों से बुराइयों को छोड़ अच्छाई को ग्रहण करते हैं | उन्ही पर्वों में से एक है प्रकाश का पर्व कहे जाने वाले गुरु गोबिंद सिंह जयंती का पर्व | तो आइये जानते हैं इस वर्ष के इस पर्व के बारे में –
प्रकाश का पर्व गुरु गोबिंद सिंह जयंती हर वर्ष पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है जोकि इस वर्ष 9 जनवरी 2022 दिन रविवार को है | इस शुभ दिन सिक्खों के 10वे और अंतिम गुरु महान संत गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था | इस प्रकार यह पर्व उन्ही के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है
महान संत गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सन 1666 में बिहार के पटना शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। इन्हें बचपन में गोबिंद राय नाम से पुकारा जाता था। इनका बचपन काल पटना में ही गुजरा । इन्होंने सिख धर्म के लिए बहुत ही महान काम किए और इसे अधिक नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया । महान संत गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही आदि श्री ग्रंथ साहिब जी को पूरा किया था।
शुभ -तिथि
पंचांग के अनुसार इस वर्ष यानी 2022 गुरु पर्व 9 जनवरी 2022 दिन शनिवार को है जिसका शुभ मुहूर्त 8 जनवरी 2022 को रात 10:42 बजे से अगले दिन 9 जनवरी 2022 को 11:08 बजे तक रहेगा |
सिख समुदाय के लोग गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती को बड़े ही हर्ष और धूम धाम के साथ दुनिया भर के विभिन्न विभिन्न स्थानों पर श्रध्दापूर्वक मनाते है | इस दिन सिख धर्म के लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ सुथरे नए कपड़े पहनकर गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं | और अपने परिवार और रिश्तेदारों के सुख समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। और गुरुद्वारे में लंगरों का आयोजन कर बड़े ही भावपूर्वक यह त्यौहार मनाते हैं । लोग शहरों में जुलूस भी निकालते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। इस दिन गुरबाणी कीर्तन भी किया जाता है, जो श्री गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाएं हैं।
महत्त्व –
गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना के साथ साथ पांच ‘क’ सिद्धांतों की भी स्थापना की | युवाआों के लिए गुरु गोविंद सिंह की वाणी प्रेरणास्त्रोत हैं। गुरु जी कवि, लेखक, दार्शनिक और साहित्यकार थे। उन्होंने कई साहित्य की रचना की है। सन 1708 में गुरु जी की मृत्यु के पश्चात गुरु गोविंद सिंह को गुरु घोषित किया गया।
